Thursday, August 6, 2009

ट्यूशन का भूत

पिछले महीने से मैंने ट्यूशन पढाना शुरू किया....बच्चों के नखरे-बहाने देखकर मजा भी आता है...गुस्सा भी...उन्हें पढाते हुए मुझे भी अपने ट्यूशन के पहले दिन की याद आती है......ये सभी तो फ़िर भी पहले दिन अच्छी तरह से पढने आ गए थे......जब मैं पहले दिन ट्यूशन पढने गई थी....वो दिन तो आज भी नही भूली हूँ...

मेरा अक्षर ज्ञान और प्रारंभिक पढ़ाई तो घर पर ही हुई...मम्मी ने ही मुझे सिखाया...और बाकी कॉमिक्स से सीखी....लेकिन जब मेरे स्कूल में एडमिशन की बात आई तो पता नही क्यूँ?.....दाखिले के लिए जो टेस्ट देना था...उसकी तैयारी के लिए मम्मी-पापाजी ने मुझे ट्यूशन भेजना तय किया...पहले तो मुझे समझ ही नही आया कि अब तक तो मम्मी ही पढाते थे...तो मुझे टेस्ट कि तैयारी के लिए ट्यूशन क्यूँ भेजा जा रहा है....?

पहले दिन मम्मी मुझे छोड़ने गए....मैं तब तक कभी अजनबियों के पास अकेली नही गई थी....मम्मी तो मुझे छोड़कर घर आ गए....ट्यूशन वाली मैडम ने मम्मी को एक घंटे बाद आने को कहा....मम्मी के जाने के बाद उसने मुझे "ऐ टू जेड और अ से ज्ञ" तक लिखने कहा...मैंने कॉपी निकाली..लेकिन इससे पहले की मैं कुछ लिखती मैडम के घर की एक औरत जो की देखने में पागल लग रही थी..मेरे बगल में आकर बैठ गई....मेरी तो डर के मारे हालत ख़राब हो गई....लिखना तो दूर की बात थी मैं तो वहाँ से उसी वक्त भागना चाहती थी....

मैडम मुझे लिखने के लिए बोलती रही और मैं भगवान से मम्मी के जल्दी आने की प्रार्थना करती हुई रोती रही...आखिरकार भगवान ने मेरी सुनी..और मम्मी जरा जल्दी आ गए....मम्मी के आते ही मैडम ने शिकायतों की झड़ी लगा दी..."आप की बेटी को तो कुछ भी नही आता....लिखने के लिए बोली तो बैठकर रो रही है...आप तो बोल रहीं थीं..इसको सारे अक्षर आते हैं,लिख भी लेती है...ये कुछ भी नही जानती..."

उसकी बातों से मम्मी हैरान थे...मुझसे भी पूछा कि मैंने लिखा क्यूँ नही...लेकिन मैंने वहाँ कुछ नही कहा....खैर घर वापस आते समय जब मैंने मम्मी को सारी बात बताई...तो वो हंसने लगीं...और बाद में ये तय हुआ कि मम्मी ही मुझे पढायेंगे....मुझे ट्यूशन नही भेजा जायेगा....


बस ट्यूशन का वो पहला दिन ही मेरे ट्यूशन का आखिरी दिन रहा...उसके बाद से आज तक कभी भी मैं ट्यूशन नही गई...लेकिन वो एक दिन के ट्यूशन का अनुभव मुझसे भुलाए नही भूलता.....

3 comments:

RAJNISH PARIHAR said...

बिलकुल ठीक कहा आपने ...बच्चों को पढाने में और उनसे बतियाने मे जो मज़ा है उसे एक शिक्षक ही बेहतर समझ सकता है...!अच्छी पोस्ट..

Razi Shahab said...

अच्छी पोस्ट..

Amit said...

its very good..keep it up