ख़ैर कल सपने में जब माँ आयीं तो मैं उस समय कहीं जाने की तैयारी में थी। जहाँ तक मुझे याद आता है मैं कहीं पढ़ने जाने के लिए बैग के साथ तैयार थी। मैंने लिफ़्ट में कदम रखा और नीचे उतर गयी। तब तक माँ से मैं मिल नहीं पायी थी। फिर मुझे याद आया कि शायद मैं कुछ सामान ऊपर ही भूल आयी हूँ। मैंने वापस लिफ़्ट में कदम रखा और बिना लिफ़्ट का दरवाज़ा बंद हुए सीधे घर पहुँच गयी।
माँ से कुछ बातें की। हमने एक- दूसरे को अपना ख़याल रखने की हिदायत दी और मैं घर से निकल चली। इस बार भी लिफ़्ट ने दरवाज़ा बंद नहीं किया। ख़ैर जब मैं पहुँची तब तक मेरे साथ जाने वाली लड़की निकल चुकी थी। टाइम देखकर मुझे पता चला कि मेरी ट्रेन भी जा चुकी है। घर वापस जाना यानी अकेले सफ़र करने के अपने मौक़े को खोना (ये बातें सपने में भी याद रहती हैं)।
मैं जाने कहाँ रुक गयी। शायद किसी होटल में बाद में मैंने यहाँ से माँ को कॉल किया और उनसे बात करके उन्हें सब बताया। जिस तरह मैं उन्हें पहले सब बताया करती थी। हमने तय किया कि माँ मुझे मिलेंगी और मैं उनके साथ कहीं घूम आऊँगी। वैसे इसके बाद मुझे सपने में याद आया कि माँ तो हैं ही नहीं (ये बातें भी मुझे सपने तक में याद आ जाती हैं)। मैंने माँ को ही इस बारे में बताया कि वो नहीं हैं पर अब मैं उनसे बात कर पा रही हूँ।
शायद किसी को ये सपना बेवक़ूफ़ाना लगे लेकिन मुझे बहुत प्यारा लगा, संजोने लायक। तो आज इतना ही फिर कभी किसी नयी बात को जोड़ूँगी...मेरी कहानी में..
तस्वीर: गूगल से साभार