Thursday, May 7, 2009
बोरकर सर:जिन्होंने कभी बोर नही किया
आज अचानक ही अपने स्कूल की बात याद आ गई.जब से इतिहास हमारे पाठ्यक्रम में आया;तभी से ये एक बोझ सा लगने लगा...इतने सरे सन् और तारीखें याद करना बहुत ही मुश्किल लगता था.याद हो भी जाता तो पेपर के समय इधर-उधर हो जाता था.....प्लासी की लडाई में मुगलों के साम्राज्य का सन्....तो कभी अकबर के शासन काल का सन् जहांगीर का शासन काल के सन् से बदल जाता...पता नही वो ये सब देखते तो क्या सोचते????खैर जैसे-तैसे समय निकल रहे थे,कि हमें इतिहास पढाने के लिए एक नए टीचर मिले जो कि हमारी मैडम के रिटायर होने के बाद आए थे.हमें कभी भी ऐसा नही लगा था की हमारा इतिहास को पढने का तरीका बदलेगा...हम तो हमेशा ही उसे रट कर पेपर देने वाला विषय समझते थे ;लेकिन सर के आने पर अचानक ही हमारी इस सोच को जोर का झटका लगा....सर का नाम तो था,"बोरकर सर"(ये उनका सरनेम था)लेकिन इसके बावजूद उन्होंने कभी भी हमें बोर नही किया.पहले ही दिन उन्होंने कुछ इस तरह से इतिहास पढ़ाया कि पता ही नही चला कि हमेशा एक बोझ की तरह लगने वाले इस विषय से कब हमारी दोस्ती हो गयीं?सर पूरे पाठ को पढ़ाया करते थे और उसे छोटे-छोटे प्रश्नों के द्वारा विभाजित करके पूरे पाठ को हमारे विचारों में रमा दिया करते थे.इतनी आसानी से कभी तारीख और सन् याद हो जायेंगे कभी भी नही सोचा था.केवल इतिहास ही नही;बल्कि वे वर्तमान से सम्बंधित ऐसी जानकारी हमारे साथ बांटा करते थे ताकि हमें इतिहास के साथ ही वर्तमान की भी जानकारी रहे .आज ये लगता है कि अगर अद्धापक चाहें तो किसी भी विषय को विद्यार्थियों का मित्र बना सकते हैं.....ये हमारा सौभाग्य ही रहा कि हमें ऐसे कई अद्ध्यापकों का साथ मिला...आगे उनके बारे में भी लिखने कि कोशिश करूंगी.
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20 comments:
ज्यादातर व्यक्ति यथा नाम तथा गुण नही होते हैं फिर आपने तो इसे स्पष्ट कर दिया है , बधाई !
aap ka blog jagat me swagat hai. yoo hi apne anubhawo se rubru karate rahiyega. aap agar ye word verification hata de to aur jayada log comment kar sakenge.
हुज़ूर आपका भी .......एहतिराम करता चलूं .....
इधर से गुज़रा था, सोचा, सलाम करता चलूं ऽऽऽऽऽऽऽऽ
कृपया एक व्यंग्य को पूरा करने में मेरी मदद करें। मेरा पता है:-
www.samwaadghar.blogspot.com
शुभकामनाओं सहित
संजय ग्रोवर
samvadoffbeat@yahoo.co.in
Shubhkamnaon sahit swagat hai...
Mere blogpe( blogspe) aanekaa snehil nimantranbhee..
Kul 13 hain...isliye blogs likhaa...
अपने सभी सवालों का ज़बाब अपने पास ही होता तो कितना अच्छा होता ना..फिर तो शायद सवाल-जबाब नाम की संग्याएं-उपमाएं ही नहीं होती..
हम ही सर्वग्य होते, अंतर्यामी...
क्या इसे ऐसे नहीं सोचा जा सकता?
हो सकता है मेरे कुछ सवालों का जबाब आपके पास हो, और आपके कुछ सवालों का मेरे पास...
एक गंभीर और सार्थक शुरुआत की शुभकामनाएं..
वर्ड वेरीफ़िकेशन हटा दें..
आप खुशकिस्मत हैं कि आपके पास सवाल हैं। आप कुछ नहीं कर सकतीं अगर आपके पास अपने सवालों के जवाब हैं।-अभिज्ञात
बहुत सुन्दर चर्चा.
चिट्ठाजगत में आपका स्वागत है.......भविष्य के लिये ढेर सारी शुभकामनायें.
गुलमोहर का फूल
सच कहा अगर अध्यापक चाहे तो विषय से छात्रों की दोस्ती करा सकता है
wahhhh achha laga apne teacher ke liye ...or bahut sahi kaha aapne ek teacher hi vishay ko bojhil or interesting bana sakta hai...likhte raho swagat hai....or ha mere blog par bhi padharen kuch naya milega....
Jai Ho Mangalmay ho
neha ji,
welcome in the blogging.
स्वागत है...शुभकामनायें.
हिंदी ब्लॉग की दुनिया में आपका तहेदिल से स्वागत है....
swagat hai,
kabhi yahan bhi aayen
http://jabhi.blogspot.com
बहुत सुन्दर लिखा है। बधाई स्वीकारें। मेरे ब्लोग पर आने की जहमत उठाएं। शुभकामनाएं।
हाम्रे भी गणित के मास्टरजी ऐसे ही थे और हां विज्ञान के भी! उन्होने ही विज्ञान को सही तरीके से समझाया और विज्ञान आज तक हमारा पसंदीदा विषय है।
सुन्दर लेखन के लिये बधाई स्वीकार करें।
और हाँ वर्ड वेरिफिकेशन अगर हट जाये तो बढ़ि्या हो। इसे हटाने के लिये Dash Board-Settings-comments में जाकर Show word verification for comments? के आगे Yes और No लिखा होगा उसे No कर दें।
धन्यवाद
बहुत सुंदर…..आपके इस सुंदर से चिटठे के साथ आपका ब्लाग जगत में स्वागत है…..आशा है , आप अपनी प्रतिभा से हिन्दी चिटठा जगत को समृद्ध करने और हिन्दी पाठको को ज्ञान बांटने के साथ साथ खुद भी सफलता प्राप्त करेंगे …..हमारी शुभकामनाएं आपके साथ हैं।
kaash main bhi borkar sir ko jaantaa hota.........!!
achhi post................badhai
sabhi pathkon ka hriday se dhanyawaad...aap sabhi apne anmol tippanion se aage bhi mera marg darsan karte rahiyega......dhanyawaad
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